क्या हैं अविश्वास प्रस्ताव पत्र ?इन दिनों चर्चा में क्यों हैं ?

संसद में मानसून सत्र चल रहा है। इसी समय संसद में कई मुद्दे गरज चमक के साथ बरस रहे हैं। सदन में बरस रहे अनेक मुद्दों में से एक है अविश्वास प्रस्ताव पत्र। आखिर क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव पत्र ? क्या होती है अविश्वास प्रस्ताव पत्र की पूरी प्रक्रिया? आइए इस आर्टिकल के माध्यम से समझते हैं।
अविश्वास प्रस्ताव संसदीय प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। जब लोकसभा में किसी विपक्षी पार्टी को लगता है कि सरकार सदन में अपना बहुमत खो चुकी है, तब वह अविश्वास प्रस्ताव लाती है। इसे No Confidence Motion भी कहा जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 75 में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होगी। अर्थात सदन में बहुमत हासिल होने पर ही मंत्री परिषद बनी रह सकती है। इसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर प्रधानमंत्री सहित संपूर्ण मंत्री परिषद को इस्तीफा देना होता है।
भारतीय संविधान में कहीं भी अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख नहीं किया गया है। लोकसभा की प्रक्रिया तथा कार्य नियम 198 (1) से 198 (5) तक मंत्री परिषद में अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है।

क्यों चर्चा में है अविश्वास प्रस्ताव पत्र ?

बीते दिनों मणिपुर में भयानक हिंसा हुई थी । जिस पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी से सदन में चर्चा कराना चाहते थे। मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी ने सदन में अभी तक कुछ नहीं बोला है। गृह मंत्री अमित शाह सहित अन्य कैबिनेट मंत्री इस पर चर्चा के लिए तैयार थे परंतु मंत्री मोदी से चर्चा चाहता था। इसी को लेकर कांग्रेस के असम से सांसद गौरव गोगोई ने अविश्वास प्रस्ताव पत्र लोकसभा स्पीकर को सौंप दिया था|

कैसे और कौन पेश कर सकता है अविश्वास प्रस्ताव पत्र ?

अविश्वास प्रस्ताव पत्र केवल लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव पत्र को मुख्यतः विपक्ष द्वारा ही लाया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव पत्र लिखित रूप में लोकसभा स्पीकर को दिया जाता है। इसके समर्थन में कम से कम 50 सदस्यों का होना अनिवार्य है ।लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पत्र प्राप्त होने पर सदन को इसकी सूचना देते हैं। फिर इसके समर्थन में सदस्यों की स्वीकृति प्राप्त करते हैं ।यदि यह स्वीकृति 50 सदस्यों से अधिक होती है ,तो लोकसभा स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव मंजूर कर लेते हैं।

कितने समय में पास /निरस्त होता है अविश्वास प्रस्ताव पत्र ?

अविश्वास प्रस्ताव पत्र मंजूर होने के बाद लोकसभा स्पीकर इस पर चर्चा के लिए तारीख और समय तय करते हैं। अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में बहस होती है । प्रस्ताव उस सदस्य द्वारा पेश किया जाएगा जिसने इसे पेश किया है। तब सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देगी। इसके बाद विपक्षी दलों को प्रस्ताव पर बोलने का मौका मिलता है ।
चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराते हैं ।अगर सदन में अधिकांश सदस्यों द्वारा इसका समर्थन किया जाता है तो सरकार गिर जाती है । अगर सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के माध्यम से जीत जाती है, तो प्रस्ताव गिर जाता है और सरकार सत्ता में बनी रहती है

क्या हैं अविश्वास प्रस्ताव का इतिहास ?

  • भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार अगस्त 1963 में जे.बी. कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव पत्र रखा था।
  • तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के खिलाफ रखे गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े और विरोध में 347 वोट।
  • संसद में 26 से ज्यादा बार अविश्वास प्रस्ताव पत्र रखे जा चुके हैं और सबसे ज़्यादा या 15 अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार के खिलाफ आए।
  • लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव की सरकारों ने तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव पत्र का सामना किया। 
  • अविश्वास प्रस्ताव का सामना करते हुए अब तक पहली बार 1978 में सरकार गिरी थी, जब तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार को मतदान में हार का सामना करना पड़ा था। उनकी सरकार के खिलाफ कुल दो बार यह प्रताव लाया गया था।
  • 1979 में अविश्वास प्रस्ताव पर ज़रूरी बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।
  • इसके बाद 1989 में वी.पी. सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार को अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।
  • 1993 में कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार बहुत कम अंतर से अविश्वास प्रस्ताव को पार कर पाई थी।
  • 1997 में एच.डी. देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार को अविश्वास प्रस्ताव में पराजय के बाद इस्तीफा देना पड़ा  था।
  • इसके बाद 1998 में संयुक्त मोर्चे की आई.के. गुजराल सरकार को भी अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था।। 
  • राजग की तरफ से अटल बिहारी वाजपेयी ने दो बार विश्वास मत प्राप्त करने की कोशिश की और दोनों बार असफल रहे।  1996 में उन्होंने केवल 13 दिन सरकार चलाने के बाद मत-विभाजन से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और 1998 में उनकी सरकार केवल एक वोट से हार गई थी।
  • जुलाई 2009 में अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के विरोध में संप्रग सरकार के खिलाफ अविश्वास मत लाया गया था। तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मामूली बहुमत से इस पर विजय पाई थी।
  • सबसे ज़्यादा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड माकपा सांसद ज्योतिर्मय बसु के नाम है। उन्होंने अपने चारों प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रखे थे।
  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किये। पहला प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ था और दूसरा नरसिंह राव सरकार के खिलाफ।

अविश्वास प्रस्ताव पत्र से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल……

प्रश्न : संविधान के किस अनुच्छेद में अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख किया गया है?
उत्तर : किसी में नही ।
प्रश्न : किस भारतीय प्रधानमंत्री को सबसे ज्यादा बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा?
उत्तर : इंदिरा गांधी(15 बार )।
प्रश्न : किस प्रधानमंत्री को दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा और दोनों ही बार उनकी सरकार गिर गई?
उत्तर : अटल बिहारी वाजपेई।
प्रश्न : संसद के किस सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है?
उत्तर : लोकसभा ।

यह भी देखे …….

क्या हैं UCC यानि UNIFORM CIVIL CODE || सामान नागरिक सहिंता सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में

  • यूपी वन फैमिली आईडी – एक परिवार एक पहचान | UP Family ID Registration – UP One Family One ID Portal 2023

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top