UCC यानि UNIFORM CIVIL CODE (सामान नागरिक सहिंता )इन दिनों चर्चा में चल रहा है सत्तारूढ़ भाजपा अपने चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार इसे देश भर में लागू करना चाहती है वहीं, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल अपने अपने हिसाब से UCC के फायदे और नुकसान गिना रहे हैं. देशभर में UCC के लागू होने से क्या प्रभाव पड़ सकता है यह जानने से पहले इसके कुछ बिंदुओं को समझते हैं.
क्या हैं UNIFORM CIVIL CODE (UCC) का इतिहास
UNIFORM CIVIL CODE यानि UCC का सबसे पहले जिक्र शाह बानो केस 1985 में आया, शाहबानो मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली एक मुस्लिम महिला थी. जिन्हें 60 वर्ष की आयु में उनके पति अहमद खान ने तलाक दे दिया था. तलाक के बाद जब शाहबानो ने अपने पति से गुजारा भत्ता देने की मांग की तो उन्होंने इसे इस्लाम के खिलाफ बताते हुए मना कर दिया. तब शाहबानो सुप्रीम कोर्ट गई सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पहली बार UNIFORM CIVIL CODE यानि UCC लागू करने का फैसला सुनाया.
क्या है UCC लागू होने के पक्ष में तर्क
- यह भारत के धर्म निरपेक्षता के आधार को मजबूत करेगा.
- अनुच्छेद 44 के अनुसार समान नागरिक संहिता लागू होनी चाहिए.
- इसके लागू होने से लैंगिक समानता आएगी, अर्थात महिलाओं को समानता का अधिकार मिलेगा.
- जिस प्रकार भारत में समान दंड संहिता है, ठीक उसी प्रकार भारत में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए.
- इसके लागू होने से आधुनिकीकरण का विकास होगा और भारत विश्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकेगा.
UCC के लागू होने के विपक्ष मे तर्क
- यह अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है, जो किसी भी धर्म को मानने व उसके प्रचार प्रसार की अनुमति देता है.
- यह भारत की विविधता में एकता पर प्रहार करेगा.
- इसके लागू होने से समाज में रह रहे विभिन्न धर्मों के लोगों में आपसी मतभेद बढ़ेगा.
क्या हैं UCC यानि UNIFORM CIVIL CODE
UCC UNIFORM CIVIL CODE का संक्षिप्त रूप है, जिसे हिंदी में समान नागरिक संहिता कहते हैं. UCC एक ऐसा प्रस्ताव या कानून है, जिसके द्वारा देश के सभी नागरिकों के Personal laws से ऊपर उठकर बिना किसी जाति धर्म, लिंग या समुदाय के एक समान बनाना है.
इसे और आसान भाषा में इस प्रकार समझा जा सकता है कि जैसे मुस्लिम धर्म में पहले तीन बार तलाक तलाक कहकर तलाक को वाजिब माना जाता था. (जो अब 2017 में एक कानून बनाकर निषेध कर दिया गया है) वही HINDU MARRIAGE ACT 1955 केवल कोर्ट द्वारा तलाक को ही मानता है. जहां एक ओर मुस्लिम धर्म में यदि किसी बच्चे का बाप मर जाए और उस समय उसका दादा जीवित है तो बच्चे का संपत्ति में अधिकार होगा या नहीं होगा, यह दादा की इच्छा पर निर्भर करता है वहीं दूसरी ओर यदि हिंदू धर्म में बच्चा मां के गर्भ में पल रहा है और उसी समय पिता की मृत्यु हो जाए तो भी पिता की संपत्ति में बच्चे का अधिकार होगा. इन विभिन्न मान्यताओं को ध्यान में रखकर सरकार देशभर में एक समान नागरिक संहिता यानी UCC को लागू करना चाहती है.
किन-किन बिंदुओं पर आधारित है UCC
- विवाह
- तलाक
- उत्तराधिकार या वसीयत
- गोद लेना
किन किन मामलों में लागू है UCC
- सिविल मामलों में लागू है UCC
- भारतीय अनुबंध 1872 मे समान नागरिक प्रक्रिया लागू है
- साक्ष्य अधिनियम 1872
- संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882
- भागीदारी अधिनियम 1932
साथियों आशा करते हैं कि हमारी इस पोस्ट के माध्यम से UNIFORM CIVIC CODE यानी UCC के बारे में आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे. UCC को देशभर में लागू होना चाहिए या नहीं इस पर क्या राय है.
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